कोरोना संक्रमण के कारण शहर के निजी अस्पताल बाकी मरीजों का भी उपचार नहीं कर रहे। सोमवार रात अस्पतालों की इस लापरवाही के चलते एक शख्स की मौत हो गई। बाद में एमवायएच के डॉक्टरों ने भी माना कि समय से इलाज हो जाता तो जान बच सकती थी। मामला बाबू मुराई कॉलोनी निवासी मनोज मतकर (55) का है। रात 9 बजे के लगभग उन्हें बाथरूम में गेस्ट्रिक अटैक आया और बेहोश हो गए। बेटे देवेंद्र ने शंका होने पर बाथरूम का दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला। पड़ोसी की मदद से उन्हें रिक्शा में लेकर सबसे पहले रामकृष्ण हॉस्पिटल पहुंचे। अस्पताल स्टॉफ ने उन्हें कोरोना संदेही मानकर डॉक्टर नहीं होने का बोलकर टाल दिया। देवेंद्र ने उन्हें बीमारी की जानकारी दे दी, फिर भी स्टॉफ नहीं माना। इस पर वे उन्हें संयोग अस्पताल पहुंचे तो यहां स्टॉफ नहीं होने का बोलकर मना कर दिया। आखिर में बांठिया अस्पताल पहुंचे तो ड्यूटी डॉक्टर ने चेक किया। उन्होंने कहा पल्स कमजोर चल रही है, एमवायएच ले जाएं। एमवायएच पहुंचे, लेकिन उनकी मृत्यु हो गई। यहां भी डॉक्टरों ने कोरोना के संदेह में पोस्टमॉर्टम के बाद शव सौंपा। देवेंद्र ने निजी अस्पतालों पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
बाथरूम में बेहोश हुए पिता, कोरोना के डर से तीन अस्पतालों ने नहीं किया इलाज, एमवाय में दम तोड़ा
• Mr. Rajkumar Avasthi